ट्रम्प प्रशासन ने तुलसी गैबार्ड को अमेरिका की नई नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर (DNI) के रूप में नियुक्त कर दिया है। गैबार्ड, जो पहले हवाई से प्रतिनिधि सभा की सदस्य रह चुकी हैं, अपने साथ विधायी और सैन्य अनुभव लेकर आ रही हैं।
सैन्य और राजनीतिक पृष्ठभूमि
गैबार्ड 2013 से 2021 तक अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सदस्य थीं। इसके अलावा, वह हवाई आर्मी नेशनल गार्ड की सदस्य भी रही हैं और उन्होंने इराक और कुवैत में सेवा दी है। उनके सैन्य अनुभव को इस पद के लिए एक महत्वपूर्ण योग्यता के रूप में देखा जा रहा है।
नई जिम्मेदारियां और चुनौतियां
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में गैबार्ड अमेरिका की सभी खुफिया एजेंसियों का समन्वय करेंगी। यह पद 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद खुफिया जानकारी साझा करने में सुधार के लिए बनाया गया था। उनकी प्रमुख जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और विभिन्न एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित करना होगी।
विवादों में घिरी नियुक्ति
गैबार्ड की इस पद पर नियुक्ति को लेकर कई विवाद खड़े हुए हैं। सबसे बड़ी चिंता उनके पास खुफिया मामलों का प्रत्यक्ष अनुभव न होना है। उन्होंने कभी किसी खुफिया समिति में सेवा नहीं दी, जिससे आलोचकों ने उनकी योग्यता पर सवाल उठाए हैं।
इसके अलावा, गैबार्ड की रूस और सीरिया जैसे अमेरिकी विरोधियों पर नरम रुख को लेकर भी आपत्ति जताई गई। उनके यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर दिए गए बयानों और 2017 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात करने पर भी विवाद हुआ था। आलोचकों ने यह भी याद दिलाया कि गैबार्ड ने एनएसए व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन का बचाव किया था, जिन्होंने गोपनीय दस्तावेज लीक कर दिए थे और रूस में शरण ली थी।
हालांकि, गैबार्ड ने इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए पारदर्शिता और प्रभावशीलता लाने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि उनकी सैन्य और विधायी पृष्ठभूमि उन्हें इस नई भूमिका में सफल बनाएगी।
रिपब्लिकन सांसदों का समर्थन
शुरुआत में कुछ संदेहों के बावजूद, रिपब्लिकन सांसदों ने गैबार्ड का समर्थन किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह डीएनआई एजेंसी के दायरे को सीमित करने और राष्ट्रपति को प्रभावी खुफिया जानकारी प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
सीनेटर लिसा मर्कोव्स्की (R-अलास्का) ने कहा, “हालांकि मेरी कुछ चिंताएं बनी हुई हैं, लेकिन मैं उनकी स्वतंत्र सोच और एजेंसी के कार्यक्षेत्र को नियंत्रित करने की प्रतिबद्धता की सराहना करती हूं।”
कठिन वोटिंग प्रक्रिया
गैबार्ड की नियुक्ति की पुष्टि के लिए सीनेट में 53-47 का विभाजन था, जिसके कारण उन्हें रिपब्लिकन समर्थन की सख्त जरूरत थी। अंतिम समय तक अनिश्चितता बनी रही, लेकिन अंततः रिपब्लिकन सांसदों ने उनके पक्ष में वोट डाला और उनकी नियुक्ति को मंजूरी मिल गई।
अब गैबार्ड के सामने चुनौती होगी कि वह अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का प्रभावी नेतृत्व करें, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और आंतरिक पुनर्गठन की स्थितियां बनी हुई हैं।