दिल्ली सरकार की महिला पेंशन योजना के अंतर्गत लाभ उठा रही 60,000 से अधिक महिलाओं को अपात्र घोषित कर दिया गया है। यह खुलासा महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग द्वारा कराए गए एक व्यापक सत्यापन अभियान के बाद हुआ है। अधिकारियों ने सोमवार, 30 जून 2025 को जानकारी दी कि यह योजना विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्त और बेसहारा महिलाओं को ₹2,500 प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
डब्ल्यूसीडी विभाग ने नवंबर 2024 में घर-घर जाकर सत्यापन अभियान की शुरुआत की थी, जिसके दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं। एक अधिकारी ने बताया, “जांच में यह पाया गया कि कई महिलाएं अब पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं करतीं, फिर भी वे पेंशन ले रही थीं। इनमें दोबारा विवाह कर चुकी महिलाएं, आय प्राप्त कर रही महिलाएं और कुछ महिलाएं जो अब पंजीकृत पते पर नहीं रहतीं, शामिल थीं।”
अधिकारी ने कहा कि यह अभियान सभी जिलों में पूरा कर लिया गया है और अब डेटाबेस को शुद्ध कर दिया गया है। “इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल वही महिलाएं पेंशन प्राप्त करें जो वास्तव में इसके लिए योग्य हैं,” उन्होंने कहा।
यह सत्यापन कार्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से किया गया और इसमें करीब 4.25 लाख लाभार्थियों को कवर किया गया।
फर्जी दावों पर लगाम
जिन महिलाओं को अपात्र पाया गया है, उनकी पेंशन तुरंत प्रभाव से बंद कर दी गई है, जबकि सत्यापित लाभार्थियों को दोबारा भुगतान शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में लगभग 3.65 लाख महिलाएं इस योजना के तहत नियमित रूप से पेंशन प्राप्त कर रही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य वास्तविक लाभार्थियों को सहायता से वंचित करना नहीं है, बल्कि फर्जी दावों को खत्म कर व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।
गौरतलब है कि यह योजना वर्ष 2007-08 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर विधवाओं को आय का स्थायी स्रोत प्रदान करना था। समय के साथ इसमें सुधार किए गए और लाभ राशि भी बढ़ाई गई।