भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बेंगलुरु में आयोजित 10वें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन में भाग लिया और महिलाओं से बड़े सपने देखने, साहसी बनने और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने का आह्वान किया।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा,
“किसी भी बाधा को तोड़ने और रूढ़ियों को चुनौती देने के लिए मानसिक शक्ति सबसे जरूरी है। मैं हर महिला से आग्रह करती हूं कि वह हिम्मत जुटाए, बड़े सपने देखे और अपनी पूरी ताकत और क्षमता का उपयोग करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करे।”
उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला का हर छोटा कदम भारत और दुनिया के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
तकनीक और मूल्यों के संतुलन पर जोर
राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीकी प्रगति ने जीवन को बेहतर बनाया है, लेकिन मानवीय मूल्यों की रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है।
“आज के प्रतिस्पर्धी युग में हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे मानवीय मूल्य बरकरार रहें। महिलाओं की खासियत है कि वे करुणा के साथ नेतृत्व कर सकती हैं। वे केवल अपने हित में नहीं, बल्कि परिवार, समाज और वैश्विक समुदाय की भलाई के लिए भी काम करती हैं,” राष्ट्रपति ने कहा।
महिला सशक्तिकरण और मानसिक स्वास्थ्य पर विचार
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि मानसिक स्वास्थ्य महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, क्योंकि वे पेशेवर प्रतिस्पर्धा, सामाजिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाने की चुनौती का सामना कर रही हैं।
“कई बार सांस्कृतिक परंपराएं महिलाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने से रोकती हैं। लेकिन मानसिक स्वास्थ्य ही किसी भी महिला को सार्थक जीवन जीने और समाज में योगदान देने की शक्ति देता है।”
सम्मेलन में मौजूद गणमान्य लोग
इस सम्मेलन का आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर द्वारा किया गया था, जिसमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, राजस्व मंत्री कृष्ण बैरे गौड़ा, मुख्य सचिव डॉ. शालिनी रजनीश, एयर मार्शल नागेश कपूर, लेफ्टिनेंट जनरल जे.के. गेरा, डीजीपी आलोक मोहन, बेंगलुरु पुलिस आयुक्त बी. दयानंद, और जिला कलेक्टर जगदीश जी सहित कई उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हुए।
महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को किया उजागर
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह सम्मेलन इस विचार को भी मजबूत करता है कि हर व्यक्ति एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, और हम एक वैश्विक समाज का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा,
“मुझे पूरा विश्वास है कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाली सभी महिलाएं यहां से ऐसे आध्यात्मिक सिद्धांतों को लेकर जाएंगी, जिन्हें अपनाकर वे न केवल अपना जीवन बल्कि दूसरों का जीवन भी और अधिक सुंदर और शांतिपूर्ण बना सकेंगी।”
निष्कर्ष
राष्ट्रपति मुर्मू ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने, मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की शक्ति और करुणा ही एक मजबूत, आत्मनिर्भर और विकसित भारत की आधारशिला है।