मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की रात में गिरफ्तारी पर लगी कानूनी पाबंदी अनिवार्य नहीं, बल्कि निर्देशात्मक है। अदालत ने कहा कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क करना है, लेकिन यदि इसका पालन नहीं किया जाता, तो संबंधित अधिकारी को इसका उचित कारण बताना होगा। अदालत ने अपवाद स्वरूप स्थितियों को परिभाषित करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने और कानून में संशोधन करने की सिफारिश की है।
महिलाओं की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट का अहम फैसला
मद्रास हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस एम. जोथिरमन शामिल थे, ने कहा कि महिलाओं की गिरफ्तारी से जुड़े कानूनी प्रतिबंध केवल दिशानिर्देश के रूप में हैं, कोई भी गिरफ्तारी रात में होने पर स्वाभाविक रूप से अवैध नहीं होगी। हालांकि, ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को यह स्पष्ट करना होगा कि वे निर्धारित प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं कर सके।
कानूनी प्रावधान और उसकी व्याख्या
अदालत ने कहा कि कानून के तहत महिलाओं को रात के समय गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, जब तक कि कोई विशेष अपवाद न हो। ऐसे मामलों में क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट से पहले से अनुमति लेना आवश्यक है।
हालांकि, अदालत ने पाया कि ‘विशेष अपवाद’ की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। पहले “सलमा बनाम राज्य” मामले में एकल न्यायाधीश द्वारा कुछ दिशानिर्देश तैयार किए गए थे, लेकिन डिवीजन बेंच ने उन्हें अपर्याप्त माना और कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता है।
नए दिशानिर्देशों और कानून में संशोधन की जरूरत
अदालत ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया कि महिलाओं की रात में गिरफ्तारी को उचित ठहराने वाली परिस्थितियों को स्पष्ट करने के लिए नए दिशानिर्देश बनाए जाएं। इसके अलावा, राज्य विधानसभा को भी सुझाव दिया गया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 43 में संशोधन पर विचार किया जाए, जैसा कि भारत के विधि आयोग की 154वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी।
दंडात्मक कार्रवाई पर कोर्ट का फैसला
अदालत ने इंस्पेक्टर अनिता और हेड कांस्टेबल कृष्णावेनी के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द कर दिया, जिन्होंने एक महिला को सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार किया था। हालांकि, कोर्ट ने सब-इंस्पेक्टर दीपा के खिलाफ कार्रवाई को बरकरार रखा, क्योंकि उन्होंने अदालत के समक्ष तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था।
महत्वपूर्ण कानूनी संदेश
यह फैसला रात में महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर कानून की व्याख्या और प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों को और स्पष्ट करने की आवश्यकता को दर्शाता है। अब राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को यह तय करना होगा कि किन परिस्थितियों में महिलाओं की रात में गिरफ्तारी को वैध माना जा सकता है, ताकि कानून का दुरुपयोग न हो और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।