अफगानिस्तान में आठ में से लगभग सात युवा महिलाएं शिक्षा, रोजगार और प्रशिक्षण से वंचित: UN Women की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

काबुल/संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर आधारित अब तक की सबसे व्यापक रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। UN Women द्वारा जारी “अफगानिस्तान जेंडर इंडेक्स 2024” के अनुसार, तालिबान शासन के लगभग चार साल बाद भी देश की महिलाओं और युवतियों की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, देश की लगभग 78% युवा महिलाएं न तो शिक्षा में हैं, न रोजगार में और न ही किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं।

यह रिपोर्ट यूरोपीय संघ के वित्तीय सहयोग से तैयार की गई है और यह तालिबान के सत्ता में आने के बाद महिलाओं की स्थिति की सबसे व्यापक और सटीक तस्वीर पेश करती है। रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान में लैंगिक असमानता की खाई दुनिया में दूसरी सबसे चौड़ी है — पुरुषों और महिलाओं के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक समावेशन और निर्णय-निर्माण जैसे क्षेत्रों में 76% तक का अंतर है।

UN Women की कार्यकारी निदेशक, सिमा बहौस ने कहा, “अफगानिस्तान की सबसे बड़ी पूंजी इसकी महिलाएं और लड़कियां हैं। उनका सामर्थ्य अभी भी अप्रयुक्त है, फिर भी वे लगातार संघर्ष कर रही हैं। वे एक-दूसरे का समर्थन कर रही हैं, व्यवसाय चला रही हैं, मानवीय सहायता पहुँचा रही हैं और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही हैं।”

शिक्षा और रोजगार में गहरा अंतर

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगभग समाप्ति की कगार पर है। माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर लगे प्रतिबंधों के चलते, जल्द ही लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की दर शून्य पर आ सकती है — विशेष रूप से मेडिकल शिक्षा जैसी क्षेत्रों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक इसका प्रमुख कारण है।

रोजगार के मोर्चे पर भी तस्वीर बेहद चिंताजनक है। अफगानिस्तान दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है, जहां पुरुषों और महिलाओं के बीच कामकाजी भागीदारी का अंतर सबसे अधिक है। केवल 24% महिलाएं कार्यबल में शामिल हैं, जबकि पुरुषों की भागीदारी 89% है। अधिकतर महिलाएं घर से ही काम करती हैं या कम वेतन और असुरक्षित नौकरियों में लगी हैं।

आर्थिक असमानता और निर्णय-निर्माण से बहिष्करण

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केवल 3% पुरुषों की तुलना में 74% महिलाएं अपना अधिकांश समय घरेलू कामों में लगाती हैं। वहीं बैंकिंग और डिजिटल वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में भी भारी अंतर है — पुरुषों के बैंक खाता रखने की संभावना महिलाओं की तुलना में तीन गुना अधिक है।

राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात करें तो, अफगानिस्तान की वर्तमान सत्ता संरचना में एक भी महिला न तो कैबिनेट में है और न ही किसी स्थानीय कार्यालय में। इससे महिलाओं की नीति निर्माण प्रक्रिया में भागीदारी लगभग शून्य हो चुकी है।

फिर भी उम्मीद की किरण बाकी है

रिपोर्ट इस बात की ओर भी इशारा करती है कि आर्थिक और मानवीय संकटों के बीच कई अफगान महिलाएं अब भी कार्यबल में प्रवेश कर रही हैं। 2022 तक, बेरोजगार महिलाओं की संख्या चार गुना बढ़ी, जबकि कार्यरत महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई। महिलाओं का यह प्रयास दिखाता है कि तमाम प्रतिबंधों के बावजूद वे अपने और अपने समाज के लिए बदलाव लाने को तत्पर हैं।

UN Women का यह जेंडर इंडेक्स न केवल अफगान महिलाओं की स्थिति की निगरानी में सहायक होगा, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के अधिकारों की बहाली के प्रयासों को दिशा देने में भी मदद करेगा। संस्था ने स्पष्ट किया है कि वह अफगान महिलाओं की जरूरतों और आकांक्षाओं को वैश्विक स्तर पर प्राथमिकता दिलाने के लिए जमीनी स्तर पर अपना कार्य जारी रखेगी।

रिपोर्ट का संदेश साफ है: अफगानिस्तान की महिलाएं आज दुनिया के सबसे कठिन हालातों का सामना कर रही हैं, लेकिन उनके संघर्ष और संकल्प से यह स्पष्ट है कि उम्मीद अब भी जिंदा है।

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