मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में होने वाले 5 कम चर्चित बदलाव: जानें क्या हैं ये और क्यों ज़रूरी है इन्हें समझना

जब मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) की बात होती है, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में सिर्फ हॉट फ्लशेस (गरमी लगना) और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण आते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि यह एक बड़ी जैविक और भावनात्मक यात्रा होती है, जिसमें कई ऐसे बदलाव होते हैं जिनकी जानकारी बहुत कम लोगों को होती है — और यहां तक कि महिलाओं को भी कई बार अपने शरीर में हो रहे इन बदलावों का कारण समझ नहीं आता।

मेनोपॉज महिलाओं के जीवन का एक अहम चरण है, जिसमें हार्मोनल बदलाव शरीर के कई हिस्सों पर असर डालते हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञ इस समय को केवल “मासिक धर्म बंद होना” नहीं, बल्कि एक पूरी स्वास्थ्य यात्रा मानते हैं।

डॉ. शिल्पिता एस, स्त्री रोग विशेषज्ञ (OBGYN) और सिरोना हाइजीन की सलाहकार डॉक्टर, बातचीत में बताया कि हर महिला की मेनोपॉज यात्रा अलग होती है। किसी को शायद कोई खास दिक्कत न हो, जबकि कुछ महिलाएं गंभीर शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती हैं। उन्होंने कहा, “हर महिला का अनुभव अलग होता है। यह ज़रूरी है कि हम मेनोपॉज के पूरे प्रभाव को समझें ताकि महिलाएं खुद को अकेला या भ्रमित महसूस न करें।”

डॉ. शिल्पिता ने 5 ऐसे लक्षण बताए जो मेनोपॉज के दौरान होते हैं लेकिन आमतौर पर इन पर ज्यादा चर्चा नहीं होती:


1. त्वचा में बदलाव

झुर्रियां और सूखापन: मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन में गिरावट से त्वचा पतली, सूखी और संवेदनशील हो जाती है, जिससे झुर्रियों का बनना तेज़ हो सकता है।
त्वचा की नमी कम होना: त्वचा में नमी बनाए रखने की क्षमता घटती है, जिससे कुछ महिलाओं को “पेपर जैसी” त्वचा महसूस होती है।
रंगत में बदलाव: कई महिलाओं को चेहरे पर दाग-धब्बे या पिगमेंटेशन का सामना करना पड़ता है, जिससे आत्मविश्वास भी प्रभावित हो सकता है।


2. पेशाब संबंधी समस्याएं

बार-बार संक्रमण का खतरा: एस्ट्रोजन की कमी से यूरिनरी ट्रैक्ट और वेजाइना की दीवारें पतली हो जाती हैं, जिससे पेशाब में जलन और यूटीआई का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लैडर कंट्रोल में कमी: हँसने, खाँसने या अचानक पेशाब आने पर कंट्रोल न रहने जैसी समस्याएं सामान्य हो जाती हैं।
समाधान मौजूद: कीगल एक्सरसाइज़ से लेकर मेडिकल ट्रीटमेंट तक कई विकल्प उपलब्ध हैं, ज़रूरी है कि महिलाएं इन लक्षणों को छुपाएं नहीं और डॉक्टर से खुलकर बात करें।


3. यौन इच्छा में कमी

लो लिबिडो: हार्मोनल बदलाव — खासकर एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट — से यौन इच्छा में कमी आ सकती है।
कम बातचीत: यह विषय अक्सर बहुत कम चर्चा में आता है, लेकिन यह एक आम बदलाव है जिसे समझना और स्वीकार करना ज़रूरी है।


4. जोड़ों में दर्द

जोड़ों की अकड़न और सूजन: मेनोपॉज के समय एस्ट्रोजन की कमी से सूजन और दर्द महसूस हो सकता है, खासकर सुबह उठते वक्त या लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने के बाद।
आर्थराइटिस जैसा दर्द: हाथ, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी में दर्द आम हो जाता है, जिसे कई बार लोग उम्र बढ़ने का असर समझ लेते हैं।


5. ब्रेन फॉग (मानसिक स्पष्टता की कमी)

ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल: कुछ महिलाएं महसूस करती हैं कि उन्हें बातों को याद रखना या ध्यान केंद्रित करना कठिन हो रहा है।
स्मृति पर असर: रोज़मर्रा के छोटे काम, जो पहले आसान लगते थे, अब मुश्किल लग सकते हैं।


डॉ. शिल्पिता ने यह भी कहा कि मेनोपॉज से जुड़े कई लक्षण अन्य बीमारियों जैसे लग सकते हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “जितना हम इन लक्षणों को समझेंगे और स्वीकार करेंगे, उतना ही बेहतर इलाज और सहयोग मिल सकेगा। हर महिला की यह यात्रा अलग होती है — कोई इसे शांति से पार कर लेती है, तो किसी को सहायता और समझ की ज़रूरत होती है।”

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