लंदन — ब्रिटेन की संसद में मंगलवार को एक अहम बहस देखने को मिली जब सांसदों ने गर्भपात को अपराध की श्रेणी से हटाने के प्रस्तावों पर चर्चा की। यह बहस ऐसे समय में हो रही है जब पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं पर अवैध गर्भपात के मामलों में बढ़ती पुलिस कार्रवाई को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है।
इस बहस के तहत अपराध से संबंधित एक व्यापक विधेयक में दो संशोधन पेश किए गए हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य उन महिलाओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रोकना है जो गर्भावस्था समाप्त करने के लिए कदम उठाती हैं — चाहे गर्भावस्था का कोई भी चरण क्यों न हो।
लेबर पार्टी की सांसद टोनिया एंटोनियाज़ी द्वारा प्रस्तुत पहले संशोधन में इस बात पर जोर दिया गया कि पिछले पांच वर्षों में 100 से अधिक महिलाओं की पुलिस ने अवैध गर्भपात के संदेह में जांच की है, जिनमें कुछ को प्राकृतिक गर्भपात (मिसकैरेज) और मृत शिशु (स्टिलबर्थ) के मामलों में भी घसीटा गया। उन्होंने संसद में कहा, “यह कानून सिर्फ महिलाओं को आपराधिक न्याय प्रणाली से बाहर रखने के लिए है, क्योंकि वे कमजोर हैं और उन्हें हमारी मदद की जरूरत है। यह न्याय नहीं, क्रूरता है और इसे अब खत्म होना चाहिए।”
वर्तमान में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति है, और विशेष परिस्थितियों — जैसे माँ की जान को खतरा — में इसके बाद भी गर्भपात कराया जा सकता है। उत्तरी आयरलैंड में 2019 में गर्भपात को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया था।
कोविड-19 महामारी के दौरान एक बदलाव यह आया कि महिलाओं को 10 सप्ताह तक की गर्भावस्था में घर पर ही गर्भपात की दवाएं लेने की अनुमति दी गई। इसके परिणामस्वरूप कुछ मामलों में महिलाओं ने 24 सप्ताह या उससे अधिक की अवधि में गर्भपात कर लिया, जिसके चलते उन्हें कानून के तहत अभियोजन का सामना करना पड़ा।
दूसरे संशोधन का दायरा और भी व्यापक है। यह न केवल महिलाओं को अभियोजन से बचाता है, बल्कि उन चिकित्सकों और अन्य व्यक्तियों को भी सुरक्षा प्रदान करता है जो महिलाओं को गर्भपात कराने में मदद करते हैं।
हालांकि इन संशोधनों का विरोध भी सामने आया है। जीवन समर्थक समूहों का कहना है कि इससे किसी भी चरण में गर्भपात के लिए रास्ता खुल जाएगा और गर्भस्थ शिशुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
सुप्रसिद्ध प्रोलाइफ संगठन सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ अनबॉर्न चिल्ड्रन की पब्लिक पॉलिसी मैनेजर एलीथिया विलियम्स ने कहा, “अगर ये प्रस्ताव पारित होते हैं, तो गर्भस्थ बच्चों की बची-खुची सुरक्षा भी छिन जाएगी और महिलाएं उत्पीड़कों के रहमोकरम पर छोड़ दी जाएंगी।”
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ब्रिटिश संसद इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या फैसला लेती है — क्या महिलाओं को गर्भपात के मामलों में अपराधी की तरह देखा जाएगा या उन्हें स्वास्थ्य और अधिकारों के आधार पर समर्थन मिलेगा।