दिव्या देशमुख ने वर्ल्ड नंबर 1 होउ ईफान को हराया, विश्व टीम ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में रचा इतिहास

भारतीय शतरंज की उभरती हुई सितारा दिव्या देशमुख ने विश्व टीम ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में चीन की ग्रैंडमास्टर और विश्व नंबर 1 खिलाड़ी होउ ईफान को हराकर दुनियाभर के शतरंज प्रेमियों को चौंका दिया। यह जीत न केवल दिव्या के करियर की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण बन गई है।

19 वर्षीय नागपुर की इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने सेमीफाइनल राउंड के दूसरे चरण में यह अहम मुकाबला अपने नाम किया। दिव्या ने हेक्सामाइंड चेस क्लब का प्रतिनिधित्व किया, जबकि होउ ईफान WR चेस टीम की ओर से खेल रही थीं। पहले चरण में हारने के बाद दिव्या ने सफेद मोहरों के साथ खेलते हुए जबरदस्त वापसी की और आक्रामक तथा सूझबूझ भरे खेल से ईफान को मात दी।

ब्लिट्ज शतरंज में समय की अहम भूमिका होती है, जहां खिलाड़ी को कुछ ही मिनटों में अपनी चालें पूरी करनी होती हैं। दिव्या ने न केवल बेहतर चालें चलीं, बल्कि समय प्रबंधन में भी उत्कृष्टता दिखाई।

मैच के बाद बातचीत में दिव्या ने अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “मैं बहुत खुश हूं। पीएम मोदी जी ने जो बातें कहीं, वो बहुत प्रेरणादायक हैं। उनका संदेश मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है और मुझे भविष्य में भारत के लिए और पदक जीतने की प्रेरणा देता है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर दिव्या की प्रशंसा करते हुए लिखा,
“दिव्या देशमुख को विश्व नंबर 1 होउ ईफान को हराने के लिए बधाई। यह जीत उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। यह कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देती है। उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं।”

दिव्या देशमुख वर्तमान में जूनियर श्रेणी में विश्व नंबर 1 हैं और इस टूर्नामेंट में उन्होंने तीन पदक अपने नाम किए। उन्होंने 2024 में वर्ल्ड जूनियर गर्ल्स अंडर-20 खिताब 10/11 के प्रभावशाली स्कोर के साथ जीता था।

नागपुर में 9 दिसंबर 2005 को जन्मी दिव्या ने महज 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था। उन्होंने 2012 में अंडर-7 राष्ट्रीय खिताब जीता, उसके बाद 2014 में अंडर-10 और 2017 में अंडर-12 वर्ग में विश्व खिताब अपने नाम किया। 2021 में वह महिला ग्रैंडमास्टर और 2023 में इंटरनेशनल मास्टर बनीं।

दिव्या की इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही भारतीय शतरंज को और भी मजबूती मिली है। हाल ही में डी. गुकेश ने नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट में तीसरा स्थान प्राप्त किया, जिसमें उन्होंने विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन को हराया था। अरविंद चिथंबरम ने स्टेपन अवग्यान मेमोरियल टूर्नामेंट में पहला स्थान प्राप्त किया और आर. प्रज्ञानानंद ने वहीं दूसरा स्थान हासिल किया।

भारतीय युवा खिलाड़ियों की ये शानदार उपलब्धियां इस बात का संकेत हैं कि भारत शतरंज की दुनिया में एक नई ताकत बनकर उभर रहा है। दिव्या देशमुख की यह जीत उसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

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