लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को छात्राओं को डिजिटल और वित्तीय रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक नई पहल की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत छात्राओं को वित्तीय साक्षरता और डिजिटल कौशल का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो कि यूनिसेफ के सहयोग से विकसित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘पासपोर्ट टू अर्निंग’ के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
राज्य सरकार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह ऐतिहासिक कदम प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (KGBVs) में पढ़ने वाली 80,000 से अधिक छात्राओं के लिए शुरू किया गया है।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हमारी सरकार छात्राओं को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि डिजिटल और वित्तीय कौशल प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही है।”
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ छात्राओं को स्वावलंबी बनाना है।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “छात्राओं को 21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल जैसे वित्तीय निर्णय लेना, बचत और निवेश को समझना, ऋण प्रबंधन, वित्तीय धोखाधड़ी की पहचान और एक्सेल व पावरपॉइंट जैसे डिजिटल टूल्स का उपयोग करना सिखाया जाएगा। साथ ही उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रमाणपत्र अर्जित करने का अवसर भी मिलेगा।”
कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। 20 मई तक प्रत्येक स्कूल में एक नोडल शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी, जिन्हें 24 और 25 मई को ऑनलाइन ओरिएंटेशन दिया जाएगा। ये शिक्षक 25 जून तक अपना प्रशिक्षण पूरा करेंगे और 25 जुलाई तक छात्राओं के लॉगिन तैयार कर दिए जाएंगे।
सभी छात्राएं 10 सितंबर तक वित्तीय साक्षरता पाठ्यक्रम पूरा कर लेंगी और प्रमाणपत्र प्राप्त करेंगी। इसकी समेकित रिपोर्ट 15 सितंबर तक प्रस्तुत की जाएगी। इसके बाद 30 अक्टूबर तक डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण पूरा किया जाएगा और 10 नवंबर तक अंतिम रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी।
कार्यक्रम के सभी चरणों में यूनिसेफ और समग्र शिक्षा अभियान तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे। ज़िला समन्वयक और विद्यालय अधीक्षिका नियमित रूप से कार्यक्रम की निगरानी करेंगे।
ऑनलाइन प्रशिक्षण up.my.p2e.org पर उपलब्ध है, जिसमें वीडियो पाठ, अभ्यास प्रश्न और मूल्यांकन शामिल हैं। वित्तीय साक्षरता मॉड्यूल में 12 और डिजिटल कौशल मॉड्यूल में 8 अध्याय हैं। प्रत्येक कोर्स की अवधि लगभग 10 घंटे की है।
कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन की जिम्मेदारी विद्यालय की अधीक्षिका और नोडल शिक्षक पर होगी, जबकि बालिका शिक्षा के ज़िला समन्वयक और ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी नियमित निगरानी सुनिश्चित करेंगे।
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि जो विद्यालय उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे, उन्हें ज़िला स्तर पर सम्मानित किया जाएगा।