सेलम, तमिलनाडु: कलवरायन पहाड़ियों के एक सुदूर गाँव से ताल्लुक रखने वाली 17 वर्षीय ए. राजेश्वरी ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। राजेश्वरी, जो कि करुमंदुरई स्थित सरकारी जनजातीय आवासीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्रा हैं, ने JEE (Advanced) 2025 में अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग में 417वीं रैंक प्राप्त की है। वह इस परीक्षा को पास कर IIT में प्रवेश पाने वाली अपने स्कूल और समुदाय की पहली छात्रा बन गई हैं।
राजेश्वरी मलयाली जनजातीय समुदाय से आती हैं। उनके पिता औंडी, जो कि एक दर्ज़ी थे, डेढ़ वर्ष पहले कैंसर के कारण चल बसे। तब से उनकी मां कविता, एक खेतिहर मज़दूर के रूप में काम कर, पांच सदस्यों के परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।
शिक्षकों और विभागीय प्रशिक्षण का रहा अहम योगदान
राजेश्वरी ने 12वीं कक्षा में 600 में से 521 अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने JEE (Advanced) की कठिन परीक्षा पास कर ऑल इंडिया ST वर्ग में 417वीं रैंक प्राप्त की। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय शिक्षकों और आदि द्रविड़ एवं जनजातीय कल्याण विभाग द्वारा चलाए गए विशेष कोचिंग कार्यक्रम को दिया।
इस कार्यक्रम के तहत 11वीं कक्षा के अंत में चुने गए छात्रों के लिए चेन्नई से विशेषज्ञ शिक्षक ऑनलाइन कक्षाएं लेते थे। स्कूल के प्रधानाचार्य डी. विजयन् ने बताया, “शिक्षकों ने सुबह और शाम कक्षाएं लीं, और छात्रों के हर सवाल का समाधान किया। यह राजेश्वरी जैसी छात्राओं के लिए एक नई उम्मीद बनकर सामने आया है।”
तमिल माध्यम से आई सफलता की कहानी
राजेश्वरी, जिन्होंने 12वीं तक तमिल माध्यम में पढ़ाई की, वर्तमान में चेंगलपट्टू जिले के कुमिझी स्थित एक प्रशिक्षण केंद्र में सॉफ्ट स्किल्स की ट्रेनिंग ले रही हैं। उन्होंने कहा, “JEE Mains तमिल में था, जिससे वह आसान लगा, लेकिन JEE Advanced इंग्लिश में था, जो थोड़ा कठिन था।”
12वीं बोर्ड परीक्षा के बाद, उन्हें इरोड जिले के पेरुंदुरै में विशेष प्रशिक्षण केंद्र भेजा गया, जहां उन्होंने और गहन तैयारी की। “शिक्षकों की मदद और दोस्तों के प्रोत्साहन से मैंने यह परीक्षा पास की। उम्मीद है कि मैं IIT मद्रास या IIT बॉम्बे में प्रवेश पाऊंगी। मैं एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करना चाहती हूं,” उन्होंने कहा।
प्रेरणा बनी एक छात्रा की कहानी
प्रधानाचार्य विजयन् ने कहा, “राजेश्वरी की सफलता दूर-दराज़ के गांवों के छात्रों के लिए प्रेरणा बन गई है। अब उन्हें विश्वास है कि वो भी देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई कर सकते हैं।”
राजेश्वरी का सफर यह दर्शाता है कि उचित मार्गदर्शन, समर्पण और मेहनत से तमिल माध्यम के छात्र भी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं पास कर सकते हैं।