भारत में युवा महिलाओं में ओवरी कैंसर के बढ़ते मामले: कारण और जोखिम

ओवरी कैंसर लंबे समय तक बुज़ुर्ग महिलाओं को प्रभावित करने वाली बीमारी माना जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में, भारत के ऑन्कोलॉजिस्ट इस ओर चिंताजनक बदलाव देख रहे हैं कि 40 और 50 की उम्र की महिलाओं में भी यह तेजी से बढ़ रहा है। यह बदलाव एक गंभीर सवाल खड़ा करता है: भारत में युवाओं में ओवरी कैंसर क्यों बढ़ रहा है?

मुंबई की 54 वर्षीय महिला को पहले कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, लेकिन उनके परिवार में ओवरी कैंसर का इतिहास था। महीनों तक उन्हें पेट में हल्का दर्द और सूजन महसूस हुई, जिसे उन्होंने अनदेखा कर दिया। जब दर्द बढ़ा, तब जांच कराई गई और इसमें बड़ा ओवरी मास पाया गया।

अग्रिम जांच में उच्च-ग्रेड सैरस ओवरी कार्सिनोमा का पता चला (स्टेज IIIC)। उनके ट्यूमर मार्कर, CA-125, निदान के समय बेहद उच्च थे और जेनेटिक टेस्ट में BRCA1 म्यूटेशन पाया गया, जो उन्हें उच्च-जोखिम वाली श्रेणी में रखता है।

उनकी इलाज करने वाली ऑन्कोलॉजिस्ट ने बताया कि इस मरीज ने शुरुआती चरण में कीमोथेरेपी कराई क्योंकि उनका कैंसर सीधे ऑपरेशन योग्य नहीं था। कीमोथेरेपी के बाद उन्होंने शेष कैंसर के लिए सर्जरी कराई। इलाज के बाद की जांचों में कोई संकेत नहीं मिला।

यह केस इस तथ्य को उजागर करता है कि प्रारंभिक निदान और सही इलाज से, यहां तक कि उन्नत अवस्था में भी, जीवन बचाया जा सकता है।

डॉ. के अनुसार, युवाओं में ओवरी कैंसर बढ़ने के मुख्य कारण हैं:

  1. लाइफस्टाइल बदलाव और मोटापा – शहरी भारतीय महिलाओं में मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम बढ़ रहे हैं। अतिरिक्त शरीर की चर्बी एस्ट्रोजेन उत्पादन और सूजन को बढ़ाती है, जिससे ओवरी कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
  2. हार्मोनल असंतुलन और देर से बच्चे – अधिक महिलाएं बच्चा देर से जन्म देती हैं या बच्चा नहीं जन्म देती हैं। इससे ओवरी कैंसर के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा घटती है। गर्भावस्था और स्तनपान कैंसर के जोखिम को कम करते हैं क्योंकि ये ओव्यूलेशन और लंबे समय तक एस्ट्रोजेन उत्तेजना को कम करते हैं।
  3. PCOS और प्रजनन विकार – पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) युवाओं में आम है, जो ओवरी कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
  4. जेनेटिक संवेदनशीलता – BRCA1 और BRCA2 जीन में बदलाव से कम उम्र में ओवरी कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है। भारत में जेनेटिक टेस्टिंग अभी भी बहुत कम उपयोग होती है, और कई उच्च-जोखिम वाली महिलाएं तब तक अनजान रहती हैं जब तक कैंसर पता नहीं चलता।
  5. पर्यावरणीय और जीवनशैली कारक – आहार में बदलाव, तनाव, हार्मोनल रुकावट करने वाले रसायन और प्रदूषण भी नए योगदानकर्ता हैं, खासकर तेजी से शहरीकरण वाले शहरों में।

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